सफर खूबसूरत है मंज़िल से भी
लक्ष्य पाने के लिए जिद्दी बनो, यहा स्टोरी जीवन के लिए बेहतरीन है, और हमारा आपको वो स्टोरी सुनाता है जो सपनों को हकीकत में बदलने के लिए महत्वपूर्ण होता है। सफर खूबसूरत है मंज़िल से भी, आप मेहनत से प्यार करोगे, मंज़िले अपने आप गले लग जाएंगी, सफलता की स्टोरी यह संजीवनी के समान प्रेरित करता है।
सफर खूबसूरत है मंज़िल से भी, यहाँ पर हम साझा करेंगे जीवन के सफर की कहानियाँ, जो आपको प्रेरित करेंगी, सिखाएगी और मनोरंजन करेगी। आप मेहनत से प्यार करोगे, यहाँ, हम मेहनत, समर्पण और सफलता के रास्ते के साथ आपके साथ चलेंगे। आपको यात्रा, सफलता, और जीवन की सबसे महत्वपूर्ण प्रेरणादायक कहानियों से रूबरू कराएंगे। मंज़िले अपने आप गले लग जाएंगी, हम आपको मोटिवेट करना, आपकी सोच को बदलना, और आपकी जिंदगी में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद करना। चाहे आप यात्रा के शौकीन हैं, या फिर व्यापार या करियर में सफलता की तलाश में हैं, सफर खूबसूरत है मंज़िल से भी, हमारा न्यूज़ ब्लॉग आपके लिए एक अनमोल स्रोत होगा। आपको एक नई उम्मीद और प्रेरणा मिलेगी।
आप मेहनत से प्यार करोगे
लक्ष्य पाने के लिए जिद्दी बनो, आप मेहनत से प्यार करोगे, सफर: सपनों की मंजिल तक यहाँ हम सफलता की स्टोरियों को अभिव्यक्त करते हैं, जहाँ सफर खूबसूरत है मंज़िल से भी, हम आपको उन मंज़िलों की दिशा में ले जाते हैं, जो सिर्फ सपनों में नहीं, बल्कि मेहनत और सामर्थ्य से ही हासिल होती हैं।
सफर खूबसूरत है मंज़िल से भी, आपका आत्मविश्वास और मेहनत, सफर को खास बनाता है। हमारा आपको प्रेरित करने, आपकी मनोदशा को स्थायित करने और आपको आपकी उच्चतम संभावनाओं की दिशा में ले जाने के लिए है। इस खूबसूरत सफर में, मंज़िलों का आगाज़ न केवल आपके कदमों से, बल्कि आपके दिल से भी होगा। जैसा कि कहा गया है, सफर खूबसूरत है मंज़िल से भी, और हम साथ में इस अनुभव को साझा करने के लिए उत्सुक हैं।
सफलता की स्टोरी
यहा पे आप शिखेंगे कुछ बेहतर अपनी जिंदगी के लिए, चीन की एक छोटे से गांव में एक लड़का अपनी दादी के साथ रहना था। उसका नाम सियांग था। दादी अक्सर उसे उस नगर के बारे में बताया करते थे। ढेर सारे कहानियों सुनाती और उस नगर के छोटे छोटे राज़ कौन सी जगह पे क्या है इन सब के बारे में जानकारियां देती रहती थी। लेकिन सियांग को शुरू से बहुत शौक था। पहाड़ों पे चढ़ने का नई जगह पे जाने का लेकिन दादी से हमेशा रोकती की भी तुम्हारी उम्र छोटी है अभी तुम्हारे कहीं भी जाना खतरे से खाली नहीं है। इसीलिए तुम अभी घर पे रहो लेकिन सियांग अपने दादी की एक भी नहीं मानता। 1 दिन दोनों छत पे बैठे सितारों को देख रहे थे। तब तक सियांग निक पहाड़ी के ऊपर देखा और दादी से पूछा की दादी उस पहाड़ी के ऊपर क्या है? हमारे गांव की सबसे चोटी वहीं है। मैं उस चोटी को जाना चाहता हूँ। क्या मुझे तुम बताओगी, इस चोटी पे क्या है?
लेकिन दादी उसे उसके बारे में कुछ नहीं बताई धीरे धीरे वक्त गुजरता गया, समय बीतता गया, अब वो धीरे धीरे काफी बड़ा हो गया। स्कूल जाने लगा लेकिन जितना ही बड़ा होता उसका जिद्दीपन उतना ही बढ़ता जाता। दादी उसकी हरकतों से बहुत परेशान रहने लगी। धीरे धीरे उसका मन पढ़ाई में बिल्कुल ही लगता था। वो बस यही सोचता कि कैसे भी करके मुझे दुनिया घूमनी है। मुझे उस पहाड़ की चोटी तक पहुंचना है। अब तो एग्ज़ैम में भी फील होने लगा था। दादी ने उसे बहुत डांटा लेकिन फिर भी उन्हें नहीं माना। आखिर पूछने लगा कि तुम आखिर बताते क्यों नहीं हो, किस पहाड़ की चोटी पे ऐसा क्या है? क्योंकि वो गांव में सबसे ऊंची चोटी है और मैं वहाँ पे जाना चाहता हूँ कि वहाँ पे जाने के बाद गांव कैसा दिखता है।
दादी को गुस्सा आया, उन्होंने गुस्से में जवाब दिया तू पढ़ता है नहीं और तुझे पहाड़ पे चढ़ना है तुमने आवारा दोस्त बना लिया है। दिन भर बस तुम समय को बर्बाद करते हो और तुम पढ़ते भी नहीं हो। ऐसे रहे तो भला कैसे काम चलेगा, तुम अपनी ज़िन्दगी को बर्बाद कर रहे हो उससे बोला दादी प्लीज़ एक बार तुम मुझे बता दो ना कुछ पहाड़ की चोटी पे ऐसा क्या है जिसके बारे में तुम बताती नहीं हो प्लीज़ तुम एक बार मुझे बता दो किस पहाड़ पे क्या है मैं एक बार वहाँ से हो अउ फिर उसके बाद मैं जी जान लाकर मेहनत करूँगा। हर दिन पढूंगा और मैं एग्ज़ैम में अच्छे नंबर लाके भी दिखाऊंगा तुम मेरे यकीन करो, मैं तुमसे वादा करता हूँ।
दादी ने बोला चल ठीक है, अगर तू नहीं मानता है तो मैं तुझे उस पहाड़ के बारे में बताती हूँ। ऊपर चोटी पे एक मंक रहते है। जो मांग इस गांव की रक्षा करते है वो बहुत ही विद्वान है और उन्हें हर चीज़ के बारे में पता है। अगर तू वहाँ पहुँच सके तो तू सबको जान जायेगा, लेकिन वहाँ पे जाने का रास्ता इतना खतरनाक है की वहाँ पे कोई भी आसानी से नहीं पहुँच सकता। वहाँ पे जाने के लिए तुम्हे कठिन रास्तो से गुजरना पड़ेगा इतनी ऊंची चढ़ाई और वो भी इतनी मुश्किल जो तुम्हारे बस की बात नहीं है। गांव के लोग कहते हैं कि वहाँ पे वही इंसान पहुँच सकता है जिसके मन में कोई निश्चय हो और जो जिंदगी में कोई सपना रखता हो। आज तक कोई भी वहाँ पे फालतू इंसान नहीं पहुँच पाया और कोई कोशिश भी करता है तो नहीं पहुँच पाता है। उसने बोला बस इतनी सी बात है, अब तो मेरे पे छोड़ दो, मैं तुम्हें वहाँ पहुँच कर दिखाऊंगा और तुम्हें ये भी बताऊँगा कि वहाँ पे रहने वाले मंग कैसे दिखते हैं। अगले दिन वो वहाँ पे जाने की तैयारी करने लगा।
अपने दोस्तों को बुलाया और सबको समझा दिया की कल सुबह मैं पहाड़ पे चढ़ने की तैयारी करूँगा लेकिन उसे वहाँ का रास्ता नहीं पता था। उसे नहीं मालूम की पहाड़ के किस छोर से वहाँ की चढ़ाई शुरू करते थे। उसका एक दोस्त था जिसके पास कंपास था जिसकी मदद से वो यात्रा की जानकारी लेके वहाँ पे जा सकता था। उसके एक दोस्त ने बोला भाई ठीक है, मैं तेरे लिए कल खाना लेके आऊंगा ये तेरे लिए कंपास लेके आएगा। उसका एक और दोस्त था जिसके पास एक बैलगाड़ी थी। उसने बोला, ठीक है, मैं तुझे थोड़ी दूर तक उस बैलगाड़ी पर तुझे छोड़ दूंगा जिसकी मदद से तू थोड़ी दूर तो कम से कम आसानी से जा सकेगा। वो लड़का बेसब्री से अगले दिन का इंतजार करने लगा। अगले दिन जब सुबह हुई उसने अपने बैग में ढेर सारे चीजें भर लिया ताकि उसे रास्ते में कोई दिक्कत ना हो और चढ़ने की पूरी तैयारी उसने शुरू कर दी। धीरे धीरे एक घंटा बेतिया लेकिन उसका कोई भी दोस्त नहीं आया।
जिसने बोला था की बैलगाड़ी से थोड़ी दूर तक छोड़ देगा। उसका भी कोई अता पता नहीं था। उसने पैदल यात्रा शुरू कर दी। उसके दूसरे दोस्त जो खाने लेके आने वाला था उसका भी कोई अता पता नहीं रहा। अब उसे और चिंता होने लगी की मैं खाऊंगा क्या और पहुंचूंगा कैसे और बिना खाये मैं जाऊंगा कैसे, जो दोस्त उसका कंपास लेके आने वाला था वो सबसे जरूरी था। आखिर में वो भी नहीं आया। अब तो उसे दिशा का भी ज्ञान नहीं था की कौन दिशा में जाना है और कैसे जाना है। अंत में बिना किसी के सहारे के उसने जैसे तैसे चढ़ाई शुरू करी। चढ़ते चढ़ते धीरे धीरे शाम हो गई। अंधेरा हो गया लेकिन अभी तक वो मंजिल तक नहीं पहुंचा। थक के हार गया, बैग में हाथ डाला तो उसने देखा की उसकी दादी ने थोड़े खाने की चीजें रखी है। वो उसे ही खाने लगा। अब उसे दिशा का भ्रम हो रहा था की किस तरह चढ़ा जाए और किस तरफ जाया जाए।
तभी उसे याद आया कि बचपन में दादी उसे गांव की कहानियों सुनाती थी और जिन कहानियों में वो गांव का नक्शा अक्सर समझाया करते थे की पहाड़ी के सीधे छोर पे जाने से ऊपर जाने का रास्ता वहीं मिलता है। उसने थोड़ा और दिमाग पे ज़ोर डाला और चढ़ाई शुरू कर ली। चढ़ते चढ़ते 2 दिन बीत गए और आखिर में अब वहाँ पे पहुंचने वाला था। उसकी हालत इतनी बुरी थी जैसे की अब वो मर ही जाए क्योंकि उसने दो तीन दिनों से ढंग से खाना नहीं खाया था। आखिरकार वो कैसे भी कर के पहाड़ के आखिरी छोर पर पहुँच गया वहाँ पे उसे एक मंक दिखाई दिए जो बहुत ही शांत, धीर होकर तपस्या कर रहा था। उनको देख के उसी आंखें चकरा से गई। उन्हें बैठकर देखता ही रह गया की उनकी आँखे खुले उससे बात कर पाए, काफी देर बाद जब उनकी आंख खुली तो उन्होंने पूछा कि तुम यहाँ पे क्यों आए हो, उनके सवाल ने ऐसे मानो जैसे उसके अंदर बदलाव ला दिया हो।
वो बिल्कुल स्तब्ध रह गया। उसके पास बोलने का कोई वाक्य नहीं था। कोई भी चंचलता नहीं थी। मन इतना स्थिर था, की बस इतना ही कह सका की मैं यहाँ पे आपके पास सफलता का राज़ जानने आया हूँ। मैं जानना चाहता हूँ की आखिर जिंदगी में कामयाब होने के लिए क्या जरूरी है। उस मंक ने जवाब दिया, एक मंजिल जिसके लिए जिद हो, मैं यहाँ से देख रहा हूँ की तुम जब चले थे, तुम्हारे साथ कई दोस्त भी थे। जिन के वजह से तुमने यात्रा शुरू करने की सोंची लेकिन अंत में किसी ने तुम्हारा साथ नहीं दिया। आखिरकार वही चीजें काम आई जो तुम्हारी थी। तुम्हारी सोच, तुम्हारी मेहनत, तुम्हारा संघर्ष और अंत में तुम्हारा ज्ञान तुम्हें दिशा का ज्ञान था क्योंकि उनकी दादी ने तुम्हें दिशाओं की कहानी सुनाई थी। उसी कहानियों के सबक से तुम्हें यहाँ के रास्ते पते थे जिसकी मदद से तुम इस पहाड़ की चोटी पर पहुँच सके।
दूसरा तुम्हे यकीन था की वो दोस्त तुम्हारी मदद करेंगे, आधे दूर तक भी छोड़ देंगे तो तुम्हारा काम बन जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। जीवन का यही सत्य है। अगर मंजिल तुम्हारी है तो उसकी तैयारी और उसे पूरा करने की जिम्मेदारी तुम्हारी ही होती है। यहाँ पे कोई तुम्हारा साथ नहीं देता इसलिए जिंदगी अपने भरोसे जीना सीखो। तुम पहाड़ पर सिर्फ इसलिए चढ़ सके क्योंकि तुम्हारे मन में पहाड़ की चोटी थी, ये तुम्हारा लक्ष्य था और इसी मकसद से तुम इस पर चढ़ रहे थे। तुम इस पहाड़ पे इसलिए नहीं चढ़ पाए क्योंकि तुम्हें मुझसे मिलना था। तुम इस पहाड़ पे इसलिए चढ़ पाए की तुम्हारे मन में बार बार इस पहाड़ की चोटी थी। अगर ऐसा नहीं होता तो तुम इस पहाड़ में कभी चढ़ नहीं पाते। इसीलिए जीवन में एक मकसद का होना जरूरी है। मकसद के बिना यहाँ किसी भी जीवन का कोई अर्थ नहीं। तुम जीवन में क्या सीख सकते हो, क्या जान सकते हो, क्या समझ सकते हो वही तुम्हारा अपना है। इसीलिए हमेशा खुद को काबिल बनाओ। खुद पे इन्वेस्ट करो जो भी सीख लोगे वो तुम्हारा है, जो भी जान जाओगे वो तुम्हारा है और तुमने जो कुछ भी सीखा है।
तुम्हारे दिमाग में जो कुछ भी भरा है, वही तुम्हारा है और तुम वही काम कर पाओगे, इसलिए ये उम्र सीखने की है। मैं देख रहा हूँ कि तुम आगे चल गए। एक बहुत बड़े पर्वत रोही बनोगे। तुम बहुत बड़े पहाड़ की चोटी पर पहुँचोगे और उसके पीछे सिर्फ एक ही मकसूद होगा तुम्हारी आगे बढ़ने की चाह, पहाड़ों पर चढ़ने की उम्मीद यही चीज़ तुम्हें आगे बढ़ाएगी। इसीलिए कहते हैं दुनिया को छोड़ो, खुद पे ध्यान दो, खुद को काबिल बनाओ, खुद की कमियों को दूर करो। खुद को हर वक्त व्यस्त रखो, मन को हमेशा कुछ सीखने में लगाओ। हर दिन कोई नई चीजें जानो और हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश करो, क्योंकि यही आदत आपकी जिंदगी बदल के रख देगी। जिसकी मदद से आप कामयाब बन पाओगे।
Read More:
- आप मेहनत से प्यार करोगे